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anju Singh

Fantasy

4  

anju Singh

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माँ

माँ

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माँ अनंत अपार स्नेह सी 

असीम निर्मल

भावना,क्या लिखूं मैं...

कुछ सोचा नहीं

पर शब्दों का तू ही हैं 

भंडार माँ ....


मेरे अंतस मन की तू

प्रहरी, मेरे हृदय की तू अनुयायी 

कोमल स्वर्णिम बूंदों का तू ही है आकार माँ

अनंत अपार स्नेह सी तू ही निर्मल 

तू धरातल,

तू दूरी,

तू हृदय,

तू दर्पण,


तुझसे ही है जीवन मेरा

तू ही मेरे जीवन की रक्षा

तू ही मेरे जीवन की आशा

तू सरल,

तू सहज,

तू निर्भर,

तू निर्मल,


जन्मदायिनी जीवन की मेरे

तू मेरी प्यारी मां

धूप हो, या छांव, आंचल तेरा मेरी छाया

ममता की है तू मूरत 

तेरी सूरत मुझमें बसी हैं मेरी माँ

तुझसे मैं क्या हूं,

क्या लिखूं.?

क्या बोलूं .?


हृदय में तेरे बसी मेरी पूरी जिंदगी माँ.....

नौ माह कौख में रखा

हमको तूने जन्म दिया

माँ तेरा आंचल ,

माँ तेरा आशय

बिन मां तेरा सुना जीवन मेरा अंधकार 

पास होकर स्वर्ग की सीढ़ी दिखाती हैं माँ...

जीवन को मेरे फिर रोशन कर देती हैं माँ....


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