माँ.. तू थकती क्यों नहीं..?
माँ.. तू थकती क्यों नहीं..?
माँ.. !
क्या तू कभी थकती नहीं,
लोगों के तानों से टूटती नहीं
हम सब के रुखे व्यवहारों से
तू क्यूँ नहीं होती कभी बेज़ार..?
माँ..!
बोल ना तू किस मिट्टी की बनी है..?
कल जब मैं बीमार थी
जाने कैसे तुझे खबर लग गई
तू झट से नींद से जग गई
सुनती रही मेरी धड़कनों को सारी रात
उसके ताने भी सुन रही थी साथ साथ
क्या तुझे ऐसी बातों से खीझ नहीं होती
तू कभी चैन से क्यूँ नहीं सोती..?
माँ बोल ना..!
अविरल है तेरी ममता
निश्छल है तेरा त्याग
निष्काम है तेरी तपस्या
माँ तुझको कोटिशः प्रणाम..!!
