खयाल
खयाल
उस दिन मन में उस पेड़ का ख्याल आया...
जब वह बहुत छोटा सा था तब था उसको लाया।
बच्चों और बड़ों ने बहुत प्यार थाउसको बाटा...
अमर तो हमेशा उस पेड़ के फल खाता।
मैंने भी कटे हैं जिंदगी के कई पल उसके साथ....
कई बार तन्हाइयों में की है उससे बात।
गर्मियों की छुट्टियों में पूरा दिन कट जाता था उसके आसपास.....
गली के बच्चे उसी के नीचे बैठकर खेलते थे ताश।
आज शहर के लोग आकर उसे बेरहमी से रहे थे काट.....
सभी लोग बोल पड़े लेकिन सुनी ना हमारी एक भी बात।
कहां उन्होंने इस जगह अब बनेगा मॉल.....
लेकिन किसी ने कान न दिया क्योंकि सब का खून रहा था खौल।
उस दिन मन में उस पेड़ का ख्याल आया...
जब वह बहुत छोटा सा था तब था उसको लाया।