मां
मां
अंधकारमय जीवन पथ पर
जीवन ज्योति जलाती है
भले-बुरे में भेद बताकर
सही राह दिखाती है
मां हमें जीना सिखाती है।
खुद सोती वो गीले में
सूखे में हमें सुलाती है
भूख लगे जब हमको
भरपेट खाना खिलाती है
मां हमें जीना सिखाती है।
घिर आते जब दुःख के बादल
सुख की बूंदें बरसाती है
घर-आंगन में सदा
ममता के मोती लुटाती है
मां हमें जीना सिखाती है।
बैर करो न आपस में तुम
मिलकर रहना सिखाती है
सुपथ पर हमें चलाती
कुपथ से सदा बचाती है
मां हमें जीना सिखाती है।
मीत नही कोई इसके जैसा
जीवन भर साथ निभाती है
मरते-मरते भी दुआ
जीने की दे जाती है
मां हमें जीना सिखाती है।
