निहारा
निहारा
सुंदर सलोनी तेरी सूरत
मुझको कितना भाती है।
बसकर मेरी आंखों में
मोती बन बह जाती है।
फूलों जैसी मुस्कान तेरी
मेरे सारे गम भुलाती है।
जब तू आकर लिपटे मुझसे
मेरी रूह भी खिल जाती है।
नन्हे - नन्हे पैरों से तू
आंगन में खेलें आंख मिचौली।
पल भर भी ओझल होती तू
तो धड़कन मेरी रूक जाती है
माथे पे तेरे कुमकुम की बिंदी
लगती जैसे चाँद सितारा
मेरे दिल का टुकड़ा है तू
"मेरी बिटिया, मेरी निहारा"
