गाँव का प्यार
गाँव का प्यार
गाँव में जीवन है सरल और प्यारा,
जहाँ हर दिल है एक-दूसरे से नज़दीक सारा।
सभी मिलकर जीते हैं, सुख-दुख में साथ,
गांव की गलियाँ हैं, सबकी एक ज़िंदगी का रथ।
जब भी कोई दुखी होता है, हाथ बढ़ाते हैं सभी,
एक-दूसरे के कंधे पर रखते हैं विश्वास सजी।
सावन में झूले और बरसात में खेत,
साथ चलते हैं सब, हर फसल पर एक जैसे हाथ।
आँगन में गूँजती है हंसी और गाना,
दोस्ती में बसी होती है वो आत्मीयता का क़िस्सा पुराना।
गांव के लोग न जाति, न धर्म में बंटते हैं,
सभी मिलकर चलते हैं, खुदा में खोते हैं।
रोटी की खिंचाई में सबका हिस्सा होता,
अजनबी को भी अपना समझ, दिल से खोलते हैं द्वार।
यहाँ कोई बड़ा नहीं, कोई छोटा नहीं,
मिलजुल कर रहने की यही है असली नीति सही।
सभी परेशानियों को आपस में बांटते हैं,
गांव के लोग आपस में हर दर्द को मिटाते हैं।
यह है गांव का प्यार, यह है उसकी सच्चाई,
मिलजुल कर रहने में बसी है असली मानवता की मयाई।
