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Twinckle Adwani

Drama

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Twinckle Adwani

Drama

मां तुम सच्ची हो...

मां तुम सच्ची हो...

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कभी - कभी लगता है औरत ही औरत को वास्तव में आगे नहीं बढ़ने देती,

केवल एक माँ है जो कभी हर रूप में स्वीकार करती है

आगे बढ़ाती है

मुझे रिश्तों की इतनी समझ नहीं

जीवन का इतना अनुभव नहीं

फिर भी जो मैंने महसूस किया उस से लिखती हूँ

माँ तुम सच्ची हो, तुम सबसे अच्छी हो !

हर सुख - दुख में साथ निभाती हो 

माँ तुम ही जीवन में आगे बढ़ाती हो

बहन के रिश्ते में अपनापन होता है

कभी - कभी ईर्ष्या का भाव होता है

माँ तुम सबसे सच्ची हो, तुम सबसे अच्छी हो !

भाभी तुमको मैं अपना समझती हूँ 

हर बात मैं तुमको कहती हूँ

भैया से मुझे डांट खिलाती हो 

कहीं ना कहीं तुम झूठ बोल जाती हो

माँ तुम सच्ची हो, तुम सबसे अच्छी हो !

सास भी अपनी होती है, बात - बात में टोकती है 

जीवन पथ में अग्रसर होने से रोकती है

माँ तुम ही जीवन में आगे बढ़ाती हो

माँ तुम सच्ची हो, तुम सबसे अच्छी हो !

ननद मेरी बातों को तिल का ताड़ बनाती है 

हर बात में आग झोंक जाती है

माँ तुम सबसे सच्ची हो, तुम सबसे अच्छी हो !

जेठानी तो सहेली है मगर बड़बोली है 

माँ तुम सच्ची हो, तुम सबसे अच्छी हो !

देवरानी भी लगती बड़ी भोली है

पर बात - बात में बनाती मेरी ठठोली है 

माँ तुम सबसे सच्ची हो, तुम सबसे अच्छी हो !

जीवन में आगे बढ़ने के लिए सब की बातें सुननी पड़ती हैं

किस - किस रूप में सबको स्वीकार करूं ?

कितना माँ वास्तविकता का त्याग करूं ?

माँ तुम सच्ची हो, सबसे अच्छी हो !

हर सुख - दुख में साथ निभाती हो 

जीवन में मुझे आगे बढ़ाती हो...।


[ © टिंक्कल आडवानी, बिलासपुर ]


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