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Tanu Bhargava

Classics

4.7  

Tanu Bhargava

Classics

माँ जीवन की पहली शिक्षिका मार्गदर्शिका कहलाती है

माँ जीवन की पहली शिक्षिका मार्गदर्शिका कहलाती है

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    माँ तुम ना होती तो में ना होती

   बिन तेरे ये जहाँ ना जाने क़ेसा होता 


तुमने ही तो संघर्ष करना सिखाया

हर ग़म से हमको लड़ना सिखाया


वो बचपन याद है जब कहानी सुनती थी तुम

पहले हमे खिलाकर बाद मेंखाती थी तुम


वो प्यारा सा बचपन फिर से पाना है मुझको

माँ तेरे आँचल में फिर से आना है मुझको 


जीवन की पहली गुरु मार्गदर्शिका माँ कहलाती है 

हर एक सीख सहज लबजो में समझाती है


हमारी ग़लतियाँ बता आइना दिखाती है 

बिगड़े को सम्भालने की कला समझाती है


घर परिवार के हरेक रिश्तेदार से पहचान कराती है

सबकी अहमियत बातों बातों में सिखाती है


गीता रामायण में देखो माँ की अमर कहानी है

परिभाषितकर कर ना सका कोई मूरत वो बलिदानी है


दया भाव ममता और करुणा ये उसकी परिभाषा है

बला छुए ना बच्चों कोये उसकी अभिलाषा 

हमारी ग़लतियाँ बता आइना दिखाती है

बिगड़ें को सम्भालने की कला समझाती है

घर परिवार के हरेक रिश्तेदार से 


माँ जीवन की पहली शिक्षिका मार्गदर्शिका कहलाती है।


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