Sudha Adesh

Classics

माँ जैसा कोई नहीं

माँ जैसा कोई नहीं

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अंबर से उतरती

उजास फैलाती 

किरण सी।


अवनि सी कठोर

अनुशासन का 

पाठ पढ़ाती

शिक्षक सी।


सागर सी उफनती

दिल में अनेकों

तूफान छिपाये

शांत मोती सी।


छीजते, टूटते 

रिश्तों को

सिलती सुई सी।


हर रिश्ते को जिया

मां तुमने सदा सर्वदा

दुर्गा, लक्ष्मी,

सरस्वती सी।


चुका न पायेंगे

कर्ज कभी तेरा

ऋणी हम सदा

सर्वदा ही।


ममता का वरद हस्त

छूटे न कभी

कामना हर दिल

की यही।


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