Sudha Adesh
Abstract
जीवन लंबा
सीलन भरी गुफ़ा
अंधेरा घना ।
रिश्ते छूटे
गहरा सूनापन
नेत्र पनीले।
दास्ताँ ज़िन्दगी
कर्मों का लेखा जोखा
क्यों भागे मन ?
मत उलझ
जीव बना पहेली
शांति जीवन।
न दे आशीष
शत वर्ष जीवन
सुखी जीवन।
एक मौका और दी...
रोप दें कुछ प...
पहेली
शत्रुघ्न तुम ...
हूँ दीप शिखा
आक्रोश
कैसी खामोशी
आकांक्षा
तुम कायर हो ....
हर दिन होली
ये सब तो नाम का था मुझ तो कुछ भी याद न रहा।। ये सब तो नाम का था मुझ तो कुछ भी याद न रहा।।
फिर भी दिल नहीं भरता लोगों का, फिर भी दिल नहीं भरता लोगों का,
सवाल सी ज़िंदगी है जवाब नहीं कोई... सवाल सी ज़िंदगी है जवाब नहीं कोई...
अंधेरा क्यों पाले जब है यादों के उजाले। अंधेरा क्यों पाले जब है यादों के उजाले।
अब आसान नहीं है, उन सा जी जाना, जो खिल रहें हैं, कांटों को सह के। अब आसान नहीं है, उन सा जी जाना, जो खिल रहें हैं, कांटों को सह के।
तुम्हारे चेहरे पर गुरुर नजर आता है मुझे तो हर तरफ इश्क़ नजर आता है। तुम्हारे चेहरे पर गुरुर नजर आता है मुझे तो हर तरफ इश्क़ नजर आता है।
अचल, विशाल पर्वत अनभिज्ञ प्रारब्ध से, अचल, विशाल पर्वत अनभिज्ञ प्रारब्ध से,
मेरा मन तन्हा तन्हा भटकता है, तिनका आँखों में ही खटकता है। मेरा मन तन्हा तन्हा भटकता है, तिनका आँखों में ही खटकता है।
बदलते वक्त के साथ साथ, बदल रही है सबकी बाते बदलते वक्त के साथ साथ, बदल रही है सबकी बाते
कुछ मंजिल की जिंदगी गई कुछ खुद को जानने में गई। कुछ मंजिल की जिंदगी गई कुछ खुद को जानने में गई।
गम के बिना खुशियों का , पता ना चलता कोई मोल , गम के बिना खुशियों का , पता ना चलता कोई मोल ,
यह एक ऐसी भावना है जो शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। यह एक ऐसी भावना है जो शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।
पर मैं नहीं थका अब भी , बहुत कुछ करने की तमन्ना , है मेरे भी मन में , पर मैं नहीं थका अब भी , बहुत कुछ करने की तमन्ना , है मेरे भी मन में ,
जिसे पहली बार लिखा होगा किसी ने किसी के लिए।। जिसे पहली बार लिखा होगा किसी ने किसी के लिए।।
खेल में जान लगा देती हैं दोनों टीमें। खेल में जान लगा देती हैं दोनों टीमें।
मन में जो थी खुशी वो बड़ी सुहानी लगी। मन में जो थी खुशी वो बड़ी सुहानी लगी।
मेरी बिटिया तुम मेरे आंगन की चहल-पहल, मेरी बिटिया तुम मेरे आंगन की चहल-पहल,
नींद की ओस से पलकों को भिगोये कैसे। नींद की ओस से पलकों को भिगोये कैसे।
बस मन का फेर होने की देर है बस मन का फेर होने की देर है
स्कूल के समय मिल लेते थे सब तब समय की कमी नहीं थी। स्कूल के समय मिल लेते थे सब तब समय की कमी नहीं थी।