रोप दें कुछ पौधे प्यार के
रोप दें कुछ पौधे प्यार के
बेचैनियां बहुत इस दिल में, गिले शिकवे भी बहुत,
चलो रोप दें दिल में कुछ पौधे प्रेम के बंधु।
नव पल्लव इन पौधों के जब्ज कर ही लेंगे नफरत बहुत,
चलो भूलकर कुछ कही अनकही बातें गले मिल तो लो बंधु।
मत भूलो यहाँ कुछ नहीं तुम्हारा, है महत्व बोली का बहुत,
चाहे कोई कुछ भी कहे, न बोलो कटु शब्द बंधु।
तुम रहो या न रहो, याद आयेंगे तुम्हारे शब्द,तुम्हारे कर्म बहुत,
कर्म को ही पूजा बनाकर लक्ष्य,चलते ,बढ़ते चलो बंधु।
जिंदगी को यूँ व्यर्थ जाया न करो,माना जीवन बहुत,
हर पल को जियो, जिंदगी खुदा की नेमत है बंधु।
सीमा पर तैनात प्रहरियों से देशभक्ति सीखो बहुत,
नमन कर वीरता को उनकी, श्रद्धा सुमन अर्पित कर याद कर लो बंधु।