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Aanchal Singh

Tragedy

4.5  

Aanchal Singh

Tragedy

लुप्त

लुप्त

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एक दिन

वो फूलों से खुश्बू की तरह ग़ायब हो जायेंगी।

रात में सितारों सा कहीं अंधेरे में खो जाएंगी।


तुम्हारे हाथों में लकीरों सी मिट जाएंगी।

वो किसी सैलाब सा

तुम्हारे अस्तित्व को भी मिटाते चली जाएंगी।।


तब…

लिए रहना एकांत नगरी

चलाते रहना निज पाट!



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