आशाऐं
आशाऐं
आशाऐं
मिटा दो हाथों से मेरी हर रेखाऐं ,
सुख की प्रेम की , दिल की वो अधूरी कामनाऐं ,
पर... छीनो न मुझसे मेरी वो अनंत आशाऐं ।।
हाँ आशाऐं , आशाऐं उन ख्वाबों की ,
जिनसे जीवित हूँ मैं,
हाँ आशाऐं , आशाऐं उन किताबों के पन्नों की ,
जिनसे प्रेरित हूँ मैं।। आशाऐं ,
जिन पर नींव डली है,एक सुंदर जहाँ की
आशाऐं , जिन पर किसी की आस खड़ी है ,
एक अप्राप्त न्याय की ।।
"ज़ालिम", ज़ालिम है ये दुनिया ,
जिस पर रहते धरती के पिशाच हैं,
ज़ालिम है ये दुनिया ,
जिसने अकसर तोड़ी एक गरीब की आस है ।।
पर आशाऐं ......
आशाऐं यहाँ भी जो डटकर खड़ी हैं ,
देने इस दुनिया को मात है ।।
केवल यही तो है मेरे पास और हम सब के पास ,
मेरे हाथों की वो अनदेखी दृढ रेखाऐं हैं,
हाँ ये वही "आशाऐं " हैं ।।
किया जा सके शायद हर सपना पूरा जिससे,
जोड़ा जा सके शायद उन टूटे दिलों के हिस्से ,
हाँ ये वही आशाऐं हैं ।।