सावन की फुहार
सावन की फुहार
टप टप करके
वो बूंदों का गालों पे ठहरना....
धूप और बरखा संग
आसमां का इंद्रधनुषी होना.....
बरसाती पानी में वो
मेंढकों का टर्र टर्र टर्राना......
चलते चलते यूं पांवों से
पानी में छप छपाक करना.....
ऐसा लगा मानो ,
चारों और प्रकृति नहाकर....
धानी हरियाली चुनर पहन ...बैठी हो
हर्षोल्लास.....पिकनिक मनाने का मौसम
मानो....
चारों और खुशहाली...बन संवर बैठी हो
बागों में पड़ गए झूले सखियों के मन खाए हिचकोले
आया सावन झूमता ...देखो इठलाता ... मतवाला
आया सावन... आया सावन
भीगे मेरा मन ...भीगे मेरा मन!!