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Mohini Gupta

Tragedy

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Mohini Gupta

Tragedy

ज्यों जल बिन मछली

ज्यों जल बिन मछली

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उसकी समंदर सी आँखों में 

न जाने क्यों उमड़ने लगा है  

रह- रह कर

फिर से कोई तूफ़ान नया 


जो अपने तीव्र वेग से 

यूँ ही निरंतर...

भिगो रहा है तन - मन उसका 


कहीं चुभता पल - पल 

काँच की तरह

कोई एहसास पुराना 


तो कहीं तड़प उठती

ज्यों जल बिन मछली

गूँजता जब यादों का तराना। 


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