अपंगता कोई श्राप नहीं...।
अपंगता कोई श्राप नहीं...।
लोग देख हमारा मजाक उड़ाते हैं...उड़ानें दो,
लोग देख बहुत कुछ कहते हैं...कहने दो,
आज बेशक हमारे पास हाथ नहीं..पर हम हारे नहीं,
उनके पास सबकुछ है फिर भी वो काम करते नहीं,
ईश्वर की देन समझ स्वीकार किया हमने,
जैसा दिया शरीर उसका उपकार माना हमने,
बेशक हाथ नहीं दिए पर पैरों में इतनी शक्ति है,
जो काम हाथ न कर सके वो पैरों ने किया है,
कोई हाथों से अपनी किस्मत बनाता है, हम वो हैं,
जो पैरों से लिख अपनी किस्मत चमकाते हैं,
अपंग बेशक ईश्वर ने बनाया है पर लाचार नहीं,
जो मिला जितना मिला उसको मान अपनी पहचान,
मैंने भरी एक उड़ान, बनाई एक पहचान,
लोग आते हैं देखने अब,
आखिर कैसे बनाई उसने यह पहचान,
अपंग शरीर है पर लोग खुद को अपंग समझ लेते हैं,
इसलिए हमेशा निराश रहते हैं,
लेकिन जिंदगी से मैंने एक बात सीखी है,
खुद की कमजोरी पर जो हंसा वो जिंदगी से हार जाता है,
और जो उसको बना अपनी ताकत मेहनत करता है,
वो एक दिन जरुर निखर जाता है।