लोगों की औकात
लोगों की औकात
लोग दिखा रहे अपनी औकात हैं
दिल तोड़ रहे मेरा वो बिना बात है
चंद मुफ़लिसी का दौर क्या आया,
अपने कपड़े ही बने दुश्मन जात है
जिन्हें था कभी हमसे भरपूर स्नेह,
वो पीठ दिखाकर भाग गये आज है
लोग दिखा रहे अपनी औकात है
दिल तोड़ रहे मेरा वो बिना बात है
जिनसे था नाता सांस-सांस का,
वो जीवनसाथी दे रहे तलाक हैं
हवा भी तो हुई जहरीली वात है
ये ज़माना दिखा रहा करामात है
बंद मुँह से दिखा रहा हमें दांत है
ऐसे अपनों की मिली सौगात है
लोग दिखा रहे अपनी औकात है
दिल तोड़ रहे वो मेरा बिना बात है
क्या मित्र मिले, क्या शत्रु मिले,
सब बैठे हुए लगाकर घात है
हर वक्त बनाना मजाक साखी का,
उधेड़बुन में आंसू दे रहे बलात है
पर अपने स्वाभिमान में कुछ बात है
बहते रहे चाहे आंसू मेरे दिन-रात है
न डिगेंगे और न हटेंगे अपने पथ से,
संघर्ष-जज्बा मिला जन्म के साथ है