लंका पर चढ़ाई कर दो राम
लंका पर चढ़ाई कर दो राम
हर सैनिक के सीने में अब तत्काल ज्वाला भर दो राम लंका पर चढ़ाई कर दो राम लंका पर चढ़ाई कर दो राम। बहुत कर लिए भाईचारा बहुत बहा ली प्रेम की धारा कंधे का ये दया तूणीर इस बार धरा पर धर दो राम लंका पर चढ़ाई कर दो राम लंका पर चढ़ाई कर दो राम।। रणभेरी आज बजा डालो लंका को राख बना डालो अपने भुजबल के पंजों से दुष्टों का नथूना थर दो राम लंका पर चढ़ाई कर दो राम लंका पर चढ़ाई कर दो राम।। शपथ तुझे उस सिंदूर की हर बुझे आंँचल के नूर की असुरों का छाती चिड़-फाड़ भारत की पीड़ा हर दो राम लंका पर चढ़ाई कर दो राम लंका पर चढ़ाई कर दो राम।। कवि - अमित प्रेमशंकर ✍️
