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Lata Sharma (सखी)

Romance

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Lata Sharma (सखी)

Romance

लिखूंगी तुझपर कविता

लिखूंगी तुझपर कविता

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लिखूँगी 

किजी रोज तुझ पर 

एक कविता.. 


पर डर लगता है

मुझे

कहीं बह न जाये 

मेरे प्यार की

सरिता..


मैं कह न दूँ

इस दिल का हाल तुझसे

कहीं दिखा न दूँ

टूटे बिखरे

टुकड़े दिल के.. 


तुझे खुशी देने की जगह

कहीं आंख 

तेरी नम न कर दूँ,

मेरी पलकों से गिरते आँसू

तेरी आँखों में

कहीं मैं न भर दूँ..

और तू तब भी समझे 

मुझको

मैं हूँ विनीता... 


कहीं न लिख दूँ मैं

तेरी ये मुहब्बत,

दिल भरकर की है जो

मैंने ये चाहत,

दुनिया से न कह दूँ

दास्तान दिल पत्थरों की

और दोष न हो मेरा

फिर भी

कहीं कहलाऊँ मैं कोई पतिता.. 


लिखने को लिख दूँ

मैं इंतज़ार तेरा,

तेरी इनायत और प्यार तेरा,

तेरे सदके मेरा हर लफ़्ज है

तेरे लिए जीना

अब मेरा सबब है,

मेरे ख्वाब मेरी चाहत

कुछ नहीं तेरे ख्वाबों के आगे,

मैं रोऊँ तो भी तरे लिए मुस्कुरा दूँ

तू कहने लगे मुझे

अपनी सुनीता.. 


कभी लिखूँगी मैं 

तेरे लिए इक़ कविता

लिखूँगी तुझको के

तू जीवन है मेरा,

तुझ बिन मुश्किल है

बहनी जीवन सरिता.. 



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