STORYMIRROR

Lata Sharma (सखी)

Romance Classics

3  

Lata Sharma (सखी)

Romance Classics

गीतिका छंद

गीतिका छंद

1 min
284


वो बड़ा सीधा लगे है, है बड़ा शैतान रे,

है चलाता आंख से वो, प्रेम के हां बान रे।


मैं कहूँ क्या ये करे है, तो बने मासूम वो।

चाल प्रीती की चले है, मैं हटा लूँ आंख जो।


नैन में रहने लगा है वो बना है जान रे, 

हो रही है साँझ मैं भी प्रीति की पहचान रे,


है भला मन का नदी सा, भीम सी काया लगे,

रूप उसका मोहना यूँ, प्रभु की माया लगे। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance