भोले बाबा
भोले बाबा
शिव में शक्ति, शिव में भक्ति,
शिव से ये सारा संसार है,
विष पिया जब सारे जग का,
नीलकंठ तब कहलाए..
सिर पर विराजे हैं चंद्र देव,
हाथ त्रिशूल संग डमरू है,
अर्ध अंग में शक्ति हुई शामिल,
अर्धनारीश्वर कहलाए..
भोले है मेरे भोलेनाथ,
सब पर कृपा ये करते हैं,
जो भी मांगे भक्त इनसे,
ये मुरादें पूरी करते हैं..
तन पर भस्म लगाकर शिव ने,
शिवरात्रि को शक्ति से ब्याह रचाया,
महादेव की महिमा ऐसी,
आम जन न समझ पाया..
माता पार्वती की माता,
हुई बेहोश रूप देखकर,
पार्वती के सिवा भोले को
कौन इस जग में जान पाया?
तप त्याग और योग के,
ये ही तो महादेव हैं,
हैं अविनाशी घट घट वासी,
शंकर–शिव–महादेव हैं..
ॐ नमः शिवव कहकर,
असुरों ने भी इनको खुश किया,
दुनिया के भले के लिए
शिव ने ही तो विष पिया..
उतरी जब गंगा धरा पर,
भोले ने सिर पर धरा,
तृप्त हुई धरती माता जब,
धरती को पवित्र किया।
पार्वती जब स्नान गई,
एक मिट्टी का रक्षक बिठाया,
जान महादेव को अनजान,
वो शिव से जा टकराया,
शिव ने काटा शीश उसका,
तो माता ने विद्रोह किया,
और शीश जब उसका जोड़ा,
गणेश जी को तब जन्म दिया..
बने कार्तिकेय शक्ति पुंज से,
7 भागों में विभाजित हुए,
शिव ने शक्ति संग मिलकर,
इंद्र का सिंहासन बचाया..
शिव की महिमा और क्या कहूँ,
शिव ने ये जग इतराया,
काशी की पावन भूमि में
इन्होंने सर्वप्रथम अपनाया।
है 12 ज्योतिर्लिंग भारत में,
जग में सब पूजे जाते हैं,
मेरे बाबा भोले है
तो भोलेनाथ कहलाते हैं..
©सखी
