नानी की कहानी
नानी की कहानी
सोनो मोनू, पप्पू चप्पु,
रिंकी पिंकी चिंकी मिंकी,
सब आ गये नानी के पास,
और मचाया जिद का शोर
नानी के कानों के आस पास,
नानी नानी कविता सुनाओ न,
राजा रानी या चंदा को हीरो चुनो न,
नानी बोली, अच्छा अच्छा,
पहले बैठे सही से हर बच्चा।
एक कहानी चंदा धरती की
आज मैं तुमको सुनाती हूँ,
एक माँ और बच्चे की
पीर आज तुमको सुनाती हूँ,
साथ में तुम सीख भी लेना,
पसन्द न आये तो दोष न देना।
एक बार धरती माँ से चंदा बोला,
माँ का प्यार तराजू में उसने टोला,
माँ तुम मुझको ग़ल न लगाती,
माथा चूमकर प्यार न करती,
सबको प्यार तुम देती हो,
मुझको क्यों न पास बुलाती ?
मैं क्या इतना बुरा हूँ माँ,
तेरा दुलारा नहीं हूँ माँ,
चांदनी रात भर शोर मचाती,
तुमको जी भर गले लगाती,
मैं क्यों इतना दूर हूँ तुमसे,
मिलने को मजबूर हूँ तुमसे,
दिन भर तुम बस काम हो करती,
गोल गोल मेरी तरह हो घूमती,
इतना सारा बोझ उठाकर
क्या तुम न हो थकती।
मैं तो आज पास आऊँगा,
तुमको ग़ले से लगाऊँगा,
जी भर तुमको प्यार करके
गोद मे तेरी सो जाऊँगा,
काँधे तुम्हारे रोज चढ़कर,
तुमको बार तंग करकर,
बहुत ही तुमको सताउंगा,
आज तो पास मैं आऊँगा।
चंदा की बात को सुनकर माँ,
धरती आँसू गिराने लगी,
मगर फिर चंदा को देखकर
माँ धरती मंद मंद मुस्कुराने लगी।
बोली तेरे मेरा काम है ऐसा,
जिसका कभी न मिलता पैसा,
तू रोशनी देता सबको
मैं जीवन देती हूँ सबको,
जो मैं कभी रुक जाऊँगी,
नाच हर पल न दिखाऊँगी,
जीवन धरा पर खत्म होगा,
त्राहि त्राहि मानव कहेगा।
तब न दिन और रात होंगे,
मौसम फिर कैसे बदलेंगे,
पेड़ पौधे जानवर इंसान,
हर बात को तब तरसेंगे।
जल जाऊंगी मैं एक रोज,
सूरज का ताप सहकर,
या तू जल जाएगा बेटे,
मुझ तक आता ताप रोककर,
सोच बेटे तू जब जब पास
या आगे मेरे कभी आता है,
मुझमें ज्वार भाटा आता है,
तुझको ग्रहण लग जाता है,
तुझसे मैं हूँ मुझसे तू है
और हमसे ये ब्रामण्ड है,
रब ने बनाई दुनिया ऐसी
सबसे मिलकर कायनात है।
एक से दुसरा दूसरे से तीसरा,
न नहला बड़ा न ही नहला,
एक दूजे की सबको जरूरत
ये मानव समझ न पाता है,
मगर लाल मेरे तू ये बात सुन ले,
माँ के लिए तू सदा ये दूरी धर ले,
चंदा प्यारा तू मेरा है अगर तू,
साथ तारों के तू खुश हो ले।
विनम्रता, प्यार ही से जीवन
स्वर्ग सबका बन जाता है,
तेरा मेरा रिश्ता है निराला,
माँ हूँ मैं तू मेरा बेटा प्यारा,
बात सुनकर चंदा माँ धरती की
थोड़ा और उदास हुआ,
मगर माँ की सारी बात बच्चों
अच्छे से वो समझ गया।
बोला माँ तुम मेरी हो अच्छी,
बातों की तुम हो भयत सच्ची
मगर मैं तो पास आऊँगा,
कोशिश करना न भुलाऊँगा,
भले तुम झेलो कोई ज्वारभाटा,
या मुझ पर कोई ग्रहण लग जाये,
मगर माँ मैं तुमको पाने की,
कोशिश करता जाऊँगा।
चंदा की इसी कोशिश से
धरती माँ झेलती ज्वार भाटा,
बच्चे को पास से देखकर,
आँसू तबसे वो बहाती है,
और घूमती हुई धरती मां की,
ताप को कम करने को,
चाँद सूरज धरती के बीच में आकर,
ग्रहण का ताप झेलता है,
माँ बेटे का रिश्ता प्यारा बरसों से
ऐसे ही चलता जाता है,
दुनिया क्या जाने दर्द दोनों का
जो माँ बेटे का सहता जाता है।
इतना कहकर नानी रोई,
आँसू से उसने आंखें भिगोई,
और बोली मेरे प्यारे बच्चों
माँ पापा को सदा आदर देना,
ऊँच नीच न तुम करना,
क्यों रब की इस दुनिया मैं,
छोटा कभी बड़ा हो जाता है,
दहले पर नहला चढ़ता है,
गुरु भी शिष्य से हार जाता है।