लिखना है तो लिखों
लिखना है तो लिखों
लिखना है तो लिखों कविवर
उस रणबांकुरे को सलाम लिखों
देश भक्ति के यज्ञ में जिसने
प्राणों की आहुति दे डाली
लिखना है तो लिखों कविवर
उस मां को सलाम लिखों
जिस मां ने अपनी कोख से
ऐसे वीर सपूतों को जन्म दिया
लिखना है तो लिखों कविवर
उस पिता को सलाम लिखों
बेटे की शहादत पर जिसका
फ़र्क से सीना चौड़ा हो गया
लिखना है तो लिखों कविवर
उस बहन को सलाम लिखो
जिस बहन ने राखी के लिफाफें में
सरहद पर भाई को साहस भेजा
लिखना है तो लिखों कविवर
उस बीबी को सलाम लिखो
हंसते हंसते जिसने देश पर
अपना सुहाग कुर्बान कर दिया
लिखना है तो लिखों कविवर
उस भाई को सलाम लिखों
देश की आन बान शान पर कुर्बान
भाई को कंधा दे कर मुखाग्नि दी
लिखना है तो लिखों कविवर
उस वीर सिपाही को सलाम लिखों
जिसने अपने साथी सिपाही को
बन्दूक से अंतिम सलामी दी।
