लिख रहा हूं तेरी जफा के नग्में
लिख रहा हूं तेरी जफा के नग्में
तुमसे कोई मतलब कहने वाले,
करते वफा ए फरेब जीने वाले,
दिन रात यादों में जलकर मरने वाले,
नहीं करते कभी जफा प्यार करने वाले।
लिख रहा हूं आज तेरी जफा के नग्में,
रह रही उठ रही दर्द से दिल की धड़कनें,
अल्फाज नम हैं आंखों में आंसू स्याही जैसे,
बेमतलब हैं किताबों में वफा के किस्से।
मतलब की दुनिया ने इश्क़ जब जब ठुकराया है,
तब तब वही फरेब-ए-वफा का इतिहास बनाया है,
इश्क़ मिटा नहीं कभी उल्फतों का जवाब है,
अक्सर दुनिया में लिखी वफा ने ही किताब है।