अपने और सपने
अपने और सपने
जो अपने कहते थे वही अब सपने लगते हैं..
जो कहते थे कि तुम पर पूरा भरोसा है...
वही अब दूसरों के नज़रों से हमको भी देखते हैं...
कभी गलती से भी अगर सामना हो जाए तो..
देख कर दूर भागते हैं...
सच में एक वक़्त के बाद सब बदल जाते हैं...
न हम किसी से कुछ कह पाते हैं
न ही उनके साथ ज्यादा वक़्त रह पाते हैं...
इतने सवाल है न इन सवालों के जवाब मिल पाते हैं..
न ही किसी से कह पाते हैं...
न ही चैन से रह पाते है..