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ritesh deo

Romance

4  

ritesh deo

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होली और प्रेम

होली और प्रेम

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4

सुनो दिकु....


होली की रंग-बिरंगी धूम मची है

तुम बिन यह जीवन मुझे खल रहा है।

तुम्हारी यादें छूने लगी इस दिल को

उम्मीदों के दीप में प्रेम जल रहा है।


रंगों की बारिश में भीग जाऊं, 

प्रेम भर उनके संग में खिल जाऊं। 

हर पल तुम्हारी मुस्कान को याद कर उस में डूबा हूँ मैं,

जी करता है एकदूजे के आलिंगन में मिल जाऊं।


तुम्हारी आँखों में खोया रहूं हरपल, 

तुम्हारी मीठी बातों में पिघल जाऊं। 

होली की धूप में तुम्हारी छाया मिले मुज़े, 

तुम्हारे साथ हर रंग में खुशबू को बिखराऊं।


फिर से पुकारूँ तुम्हें ख्वाबों में, 

होली की मिठास में घुल जाऊं। 

धीरे-धीरे खो रहा हूँ मैं खुद को, 

दिकुप्रेम की छोटी सी दुनिया में सारा संसार भूल जाऊं।


कब आओगी? बस यही सोच से मन मष्तिष्क से मल रहा है।

अब देर ना करो दिकु,

उम्मीदों के दीप में प्रेम बार बार जल रहा है।


*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*


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