Yogeshwar Dayal Mathur
Abstract
बड़े चाह से
थामना चाहा था हथेली पर
बारिश की गिरती बूंदों को
फिसलकर निकल गईं सब बूंदें
बगैर किसी लगाव के
जिंदगी की खुशियों की तरह
हथेली को गीला छोड़ गईं
बिदाई पर नम आंखों की तर
आधे अधूरे
तोहफ़ा
कल्पना
दीपावली
कुछ लोग
मौसम
परछाईं
मुलम्मा
मुक़द्दर
शिल्पकार
दुनियाँ में हर एक़ चेहरा नया होता है पर उन लोगों में कहाँ कुछ नया होता है। दुनियाँ में हर एक़ चेहरा नया होता है पर उन लोगों में कहाँ कुछ नया होता है।
यादें..... क्या हैं यादें..... कहाँ से आती हैं.. ज़रूरी भी हैं या नहीं? यादें..... क्या हैं यादें..... कहाँ से आती हैं.. ज़रूरी भी हैं या नहीं?
सिफर से सिफर तक एक सफर है सभी का। सिफर से सिफर तक एक सफर है सभी का।
नीर को नयन भी ठौर नहीं देते नीर सी नयनों से गिर गयी नीर को नयन भी ठौर नहीं देते नीर सी नयनों से गिर गयी
दौड़ी चली आय कान्हा की राधा, कान्हा जब मुरलिया मधुर बजाय। दौड़ी चली आय कान्हा की राधा, कान्हा जब मुरलिया मधुर बजाय।
जीवन में उजाला लाए। घर-घर में दीप जलाए। जीवन में उजाला लाए। घर-घर में दीप जलाए।
तरुवर को कैसे छाया मिलेगी वातावरण में। तरुवर को कैसे छाया मिलेगी वातावरण में।
महत्वाकांक्षी औरत की आंखें लाल अधर नीले होते महत्वाकांक्षी औरत की आंखें लाल अधर नीले होते
प्रेम के आकाश में नफरत के बादल हैं। प्रेम के आकाश में नफरत के बादल हैं।
कभी हँसाती, कभी रुलाती, कभी सताती बीती यादें कभी हँसाती, कभी रुलाती, कभी सताती बीती यादें
रात के अंधेरे में, सितारों और चांद के सिवाय, कोई और भी चमकता है। रात के अंधेरे में, सितारों और चांद के सिवाय, कोई और भी चमकता है।
छुपाते हैं लोग प्रेम को बदनामी की तरह, वो प्रेम ही क्या...? छुपाते हैं लोग प्रेम को बदनामी की तरह, वो प्रेम ही क्या...?
अस्त हो जाएगा गमगीन सूरज शाम होने से पहले तारे उग आएंगे रात होने से पहले.. अस्त हो जाएगा गमगीन सूरज शाम होने से पहले तारे उग आएंगे रात होने से पहले..
निर्माण करो सहानुभूति सहयोग अरमानों और आशाओं का I निर्माण करो सहानुभूति सहयोग अरमानों और आशाओं का I
कभी उनको मिले ही नहीं या उन्होंने स्वीकारा नहीं कभी उनको मिले ही नहीं या उन्होंने स्वीकारा नहीं
रिश्तों में अगर दर्द है तो खुशी भी तो रिश्तो में ही समाया है। रिश्तों में अगर दर्द है तो खुशी भी तो रिश्तो में ही समाया है।
कर्तव्य पालन कर जीवन के पथ पर मैं बढ़ रहा हूँ I कर्तव्य पालन कर जीवन के पथ पर मैं बढ़ रहा हूँ I
मोह में डूबा मन विवेक खो देता मोह में डूबा मन विवेक खो देता
आंसू बहा-बहा के अपने दिलबर की याद में हम रोए। आंसू बहा-बहा के अपने दिलबर की याद में हम रोए।
देह पर हक है प्रेम का प्रेम को चाह नहीं देह की देह पर हक है प्रेम का प्रेम को चाह नहीं देह की