लैला मजनू
लैला मजनू
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कह रहे हैं लोग इश्क को जुर्म
और कहा की इन्साफ़ भी करो यारों
बता रहे थे कि ग़लती दोनों की है
इसलिए लैला को भी पत्थर मारो
अरे! शानो शौकत की महरानी लैला
जो एक राज घराने में पलती थी
ये वहीं लैला है यारों जो बचपन में
मजनू के साथ ही पढ़ती थी
ये दौर शुरू हुआ वही जब
लैला भी एक दीवानी बनी
बदनाम किया खुद को लैला ने
तो ये लैला मजनू की कहानी बनी
अरे लैला इतनी कमजोर नहीं
ना यूँ सरे आम इल्जाम डालो
वो कहती रही ना मारो दीवाने को
मारना है तो भले मुझे ही मारो
पत्थर मार रही थी दुनिया तो
इस लैला ने ही उसे बचाया था
शर्त रखी मजनू को छोड़ने की
और एक गैर से शादी रचाया था
क्यों इल्जाम लगाते हो लैला पर
इसमें उसका भला क्या दोष हैं
मजनू अगर दीवाना है तो
लैला भी प्यार में मदहोश है
यूँ नहीं दो नाम बने थे एक
ये दो नाम का एक ही ख्याल है
कहानी नहीं सिर्फ ये लैला मजनू
ये तो जीता जागता मिसाल है