लाल बत्ती
लाल बत्ती
अक्सर हर चौराहे पर ये,
अनायास दिख जाती है।
कब चलना कब रुकना,
ये बराबर हमें बताती है।
दिखती थी कभी नेता की,
महँगी-महँगी उन कारों पर।
खूब अकड़ते रौब जमाते,
और उछलते फिर नारों पर।
हर जगह फैला है खतरा,
भोली जनता है पिस रही।
रसूखदारों के रुतबे के आगे,
नाक अपना है घिस रही।
बत्ती-बत्ती में ढूंढ़ो अंतर,
ज्ञान करलो अपने अंदर।
खतरे की हैं ये दोनों बत्ती,
लाल बत्ती भाई लाल बत्ती।