लाई हूँ फूल तुम्हारे लिये
लाई हूँ फूल तुम्हारे लिये
लाई हूँ चुनके कुछ फूल तुम्हारे लिए
ये फूल,फूल कहाँ,मेरा दिल ही तो हैं
याद है,कभी एक लाल गुलाब
तुमने मुझे दिया था
मेरी किताब के पन्नो में
आज भी वो महकता है।
तुम तो वादा करके निकल गए
अपनी दूसरी महबूबा के पास,
पर ये दिल आजतक भी
तुम्हारा नाम ले धड़कता है।
रोना चाहा था तुम्हारी शहादत पर
पर ये आंसू सूख गए,
मेरे जज़्बात,अरमान सारे
तुम्हारे साथ चले गए।
मुझसे तो अच्छे ये सफेद फूल
तुम्हें, जो छू सकेंगे
अपनी किस्मत पर देखो
कैसे इतराये ये।
इनकी सुगंध महकेगी तुम्हारे
बलिदानों संग,
मेरा क्या, रंग लिया है खुद को
इनके ही रंग।