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KUMAR अविनाश

Romance

4  

KUMAR अविनाश

Romance

क्यूं ना थोड़ा अलग "प्रेम" करे

क्यूं ना थोड़ा अलग "प्रेम" करे

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एक-दूसरे की चाह न करके,

एक-दूसरे की प्रतीक्षा करें

क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।


एक-दूसरे पर अधिकार न जताकर

एक-दूसरे को स्वतंत्र करें

क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।


एक-दूसरे के हमसफ़र न बन कर, 

एक-दूसरे का सफ़र में साथ दें

क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।


एक-दूसरे को किसी रिश्तें में न बांधकर, 

एक-दूसरे को हर रिश्तें से आजाद करें

क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।


एक-दूसरे को ख़ुशी की सलाह न देकर,

एक-दूसरे की ख़ुशी की वजह बने

क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।


एक-दूसरे के राजदार न बनकर, 

एक-दूसरे के सलाहकार बने

क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।


एक-दूसरे की समझदारी को भूल कर,

एक-दूसरे की नादानियों से बात करें

क्यूं ना थोड़ा अलग प्रेम करें।।


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