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Ratna Kaul Bhardwaj

Tragedy

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Ratna Kaul Bhardwaj

Tragedy

क्यों अग्निपरीक्षा सीता देगी ?

क्यों अग्निपरीक्षा सीता देगी ?

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यह रीत न जाने कब से 

चली आ रही है 

युगों युगों से क्यों सीता 

अग्निपरीक्षा देती आ रही है 


राहें हैं अनगिणत चुनौती भरी 

खुद से खुद की है लड़ाई बड़ी 

विचारों को चुनौती देकर 

इस्थितियाँ अनौखी है पैदा हुई


ज़िन्दगी में प्रभाव ऐसा है 

कि थमने का कोई नाम नहीं 

हर मोड़ पर वह ग़ुम रहती है 

ठहरने का कहीं भी दम नहीं 


आर्थिक रूप से एक तरफ 

सुरक्षा खुद की है पाई उसने 

पर पुरष रुपी समाज ने 

खड़ी कर दी हैं कई उलझने 


गुनाह क्या होता है उससे 

कभी बताया जाता नहीं 

उसकी कुर्बानियों को 

कभी जताया जाता नहीं 


अपना सर्वस्व जिसपर लुटाती है 

वही छीनता है ख़ुशी उससे 

अन्तहीन दिशा में अनमने मन से 

कदम उठते हैं उसके राह ढूंढ़ने 


स्त्री सम्बन्ध अपना मन से 

अपनाती आई है सदा 

हाँ कुछ किस्से ऐसे हैं ज़रूर 

जहाँ खता हो उसकी यदाकदा 


यूं तो स्त्री निर्णय लेने में 

खूब सक्षम हो गई है

पर दुनियादारी निभाने में 

अक्सर खुद को भूल जाती है 


रिश्तों की गर्माहट का अब 

कोई मौल नहीं रहा 

परीक्षा देती आयी है सीता सदा 

कोई कुछ बोल नहीं रहा 


स्त्री की भावनाओं में 

प्रेम, समर्पण, सहानभूति है 

मत बन ए मानव गुनहगार 

वह घर के आँगन की देवी है।


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