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Kamini sajal Soni

Romance

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Kamini sajal Soni

Romance

क्या यही

क्या यही

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गुजर रहा है हर पल ऐसे

समझा नहीं मुझे कोई जैसे

छवी बसी प्रियतम की आंखों में


आंखों से उतरी हृदय- में

हृदय में तुम बसते ऐसे

फूल खिले मधुबन में जैसे


समझ भी जाओ प्रीत हमारी

आई फिर क्यों याद तुम्हारी

यादों में तुमने चैन चुराया

यही है क्या प्रीत तुम्हारी।


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