क्या यही प्यार है
क्या यही प्यार है
क्या यही प्यार है
कि तुम रहती हो हरदम
ख्यालों में मेरे
तुम्हें बांहों में लेकर
चूमने को दिल करता
दिल मे सिर्फ
तुम्हारी मुस्कराहटें
जैसे कॉलेज का वह पहला दिन
अचानक जब तुम्हें देखा
तो ऐसे लगा
दिल मे हजारों फूल खिले
धीरे धीरे तुम लगने लगी
इतनी अच्छी कि
किसी दिन कॉलेज में
तुम्हारा न आना
कर जाता मुझे उदास
लगने लगता
जैसे खाली - खाली से
हो जाते जज्बात
वक्त गुजरता नहीं
क्या यही प्यार है!
तुमसे दूरियां और हिचकियाँ
तुम्हारा न आना तनहाइयाँ
और कभी किसी मित्र से बतियाना
भर देता था गुस्से में मुझे
न जानें क्यों
जीवन मे संचित होता रहा
इंतज़ार
और उसके बाद
मिलन का करार
हर पल तुम्हारी याद
खुश रखने की बेताबी
और बेइंतहां चाहत तुम्हारी
आंखों में पलने लगते
कई सुनहरे ख्वाब
वो रोज शाम को
छत पर टहलना
और बतियाना
दिल मे तड़फन सी उठती है
क्या यही प्यार है
तुम्हारी छोटी छोटी बातों का
ख़य्याल रखना
तुम हरपल रहो पास मेरे
काश!
जीवन नैया चलती रहे
हाइवे -सी हमारे साथ
बुलंदियां हो
और मजबूरियां
तनहाइयाँ, खामोशियाँ
जब काट खाने को दौड़े
इकरार, इनकार
क्या यही है प्यार है?