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Masum Modasvi

Drama

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Masum Modasvi

Drama

क्या कहना

क्या कहना

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चाह जगाने आये हैं क्या कहना,

आश बढ़ाने आये हैं क्या कहना ।


मयखाने में लाकर तन्हा छोङ दिया,

होश उङाने आये हैं क्या कहना ।


डाली-डाली फूल खिले हैं चाहत के,

रंग जमाने आये हैं क्या कहना।


तनहाई के आलम में अंजानी राहों पर,

साथ निभाने आये हैं क्या कहना ।


मन से उनके लागी अपनी हसरत है,

गम से छुङाने आये हैं क्या कहना ।


उनकी इनायत सर पे हमारे छाइ है,

राह दिखाने आये हैं क्या कहना ।


उनको जब से अपना जाना है मासूम,

होश ठिकाने आये हैं क्या कहना ।


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