क्या कहे
क्या कहे
उसकी वफा में कुछ और ही बात है
जो बीस साल बाद भी याद है
नजर का खेल हमने कुछ ऐसे खेला
ना कुछ उसने कहा ना कुछ हमने कहा
हाले दिल बता दिया
हम ना इजहार किया, ना इकरार
बस नाम बदनाम, शहर में हमारा
प्यार कहे या तड़प या कहे इंतजार
या बेरुखी या मजाक
पर कुछ तो है हमारे दरमियां ।

