STORYMIRROR

Sarita Kucheriya

Children Stories Inspirational Others

3  

Sarita Kucheriya

Children Stories Inspirational Others

बेटी

बेटी

1 min
266

बेटी कहो या औरत हर रंग में ढलती हूँ ।

राह में क्या हर जगह सम्भल कर रहती हूँ

रुकना और रुठना हालात कैसे भी हो

हमें आता नहीं या मेरे हक में नहीं

कुछ भी करो राह रोकने वाले मिलते

ताक झांक कर कोसने लगते

कमियां निकाल ताना मारने वाले मिलते

जलील और समझ निकाल चुप कराने वाले मिलते

बेटी हूँ मशीन नहीं दिल दुखाने वाले बोल पड़ते

समय समय की बात है

बेटी भी अब अभिमान बनी

स्वाभिमान से जीने लगी

जीवन का पहिया कुछ ऐसे घुमा 

बेटी अब साबित कर जीने लगी।

बदलाव नियति का नियम दुनिया समझने लगी।



Rate this content
Log in