क्या हम सच मेंं आजाद हैं?
क्या हम सच मेंं आजाद हैं?
क्या हम सच मेंं आजाद हैं?
शायद नहीं
शायद नहीं ,सच में
हम आजाद नहीं हैं।
माना हम 21वीं सदी में आ गए हैं
पर विचार 16वीं सदी के हैं।
कागजों में, भाषणों में
बातें बड़ी बड़ी- बड़ी
पर व्यवहार वही दकियानूसी
घिसीपिटी परिपाटी।
बेटी के लिए अनंत बंधन
बेटे का दिन रात सब माफ।
बेटी से स्वाल
बेटे को ' कोई न '
कहने को लड़की ' देवी '
पर देवी अब सुरक्षित कहाँ?
आजाद हम हुए
अंग्रेजों की गुलामी से
पर अंग्रेजी आज भी हावी है
हिन्दी अपने सम्मान को तड़प रही ।
अपनी मातृभाषा के
प्रचार व प्रसार के लिए
दिन ,पखवाड़े मनाएँ
और बात करें आजादी की!!
सही अर्थों में
आजाद नहीं हम
जकड़े हैं अपनी ही परम्पराओं में
चल रहे हैं पुरानी परिपाटी पर
खींच रहे हैं मुखौटा पहन जिंदगी
बदलाव आया है
पर...।।
पूरी तरह नहीं..
अगर सच में आजाद होना है
विचारों को बदलना होगा
सबको साथ लेकर
देश को विकास की राह
ले जाना होगा।