क्या है....
क्या है....
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आइने तूने दिखाया क्या है
ज़िंदगी धूप या छाया क्या है
दिल में उतरोगे तो जानोगे तुम
मैने आँखों में छिपाया क्या है
अब मयस्सर ना हो तन्हाई भी
याद फ़ुरकते शब आया क्या है
हमने दिल जान सभी खोये हैं
और वो पूछे गँवाया क्या है
बढ़ रही है दिल की बेचैनी
ये मेरी सिम्त नुमाया क्या है
नींद भी उड़ने लगी आँखों से
ख़ाब ये उसने दिखाया क्या है
प्यास बुझती ही नहीं जाने क्यूँ
तुमने आँखों से पिलाया क्या है!