STORYMIRROR

Deepak Sharma

Abstract

3  

Deepak Sharma

Abstract

क्या है....

क्या है....

1 min
24

आइने तूने दिखाया क्या है 

ज़िंदगी धूप या छाया क्या है 


दिल में उतरोगे तो जानोगे तुम

मैने आँखों में छिपाया क्या है 


अब मयस्सर ना हो तन्हाई भी 

याद फ़ुरकते शब आया क्या है


हमने दिल जान सभी खोये हैं 

और वो पूछे गँवाया क्या है


बढ़ रही है दिल की बेचैनी 

ये मेरी सिम्त नुमाया क्या है


नींद भी उड़ने लगी आँखों से 

ख़ाब ये उसने दिखाया क्या है


प्यास बुझती ही नहीं जाने क्यूँ 

तुमने आँखों से पिलाया क्या है!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract