usha yadav

Inspirational

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usha yadav

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कवितापन

कवितापन

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कविता पन कवि के दिल का दर्पण है उसका दर्द है जिसे वह शब्दों के द्वारा व्यक्त करता है। कविता ,कवि के हृदय के भावों को बयां करती है जब एक कवि या लेखक लिखने बैठता है तो उसके अंतर्मन में बहुत उधेडबुन लगी रहती है,ओर बहुत ही सलीके से वह अपने शब्दों को कम तथा खूबसूरती के साथ बयां करता है। मेरे ख्याल से तो वही कवितापन है जब तक कवि अपने भावों को पन्नों पर उतार नहीं देता तब तक उसे कहीं चैन नहीं मिलता। हिंदी साहित्य में भी पहुंचे कवि हुए जैसे माखनलाल चतुर्वेदी, नागार्जुन मैथिलीशरण गुप्त, महादेवी वर्मा, निराला, दिनकर आदि। जिन्होंने अपने कवितापन को सार्थक रूप से उकेरा है। इसे मैं इस प्रकार व्यक्त करना चाहूंगी


दर्द को अपने दिल से बयां करना चाहा 

लिखकर इन कागजों पर व्यक्त करना चाहा


 लिखना चाहा उन तमाम हसरतों को 

जिनको कभी में लिख नहीं पायीं

 मेरे इस दिल का दर्पण हैं कविता

 मेरे इस दर्द की आगाज कविता 


माना कि मैं एक कवि नहीं 

फिर भी मेरे शब्दों को जैसे 

तलाश करें कविता


सोचती हूं देखती हूं फिर कुछ 

लिखना चाहती हूं उनपर जिन्हें 

कुछ मिला ही नहीं इस गरीबी

 की राह पर 


 लिखना चाहती हूं बहुत कुछ

पर इन शब्दों के सिवा हमें 

किसी ने कुछ दिया ही नहीं 


अब क्या लिखूं उस कविता में 

जिस में जागरूकता, उदारता और

 सार्थकता के सिवा कोई बात ही नहीं 


अब कोई विद्रोही कहो है 

या फिर मेरे दिल का दर्द ही 

समझो 


कवि तो नहीं मैं ना ही कवितापन 

है मुझ मे जिसे बयां करना चाहूं

लिख इन कागजों के पन्नों पर

बस कुछ इसी कविता पन को

लिए कुछ आज लिखना चाहा।


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