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Vishu Tiwari

Inspirational

5.0  

Vishu Tiwari

Inspirational

माॅं

माॅं

2 mins
482


*मां पर लिखी गई कविता का पूरा भाग पढ़िए और अपना आशीर्वाद देते रहिए।* 


कैसे बतलाऊं मैं तुमको,

        कैसी ममता होती मां की।

जग सारा महिमा गान करें,

         कैसी सूरत होती मां की।।

बिन मां सूना संसार लगे,

        जग-प्रेम अधूरा प्यार लगे।

आंखों से अश्रुधार बहे, 

       जननी जग की आधार लगे।।

वात्सल्य लिए निज आंचल में,

       पुचकार लगाती रहती हैं।

ख़ुद ठिठुर ठिठुरकर ठंडक में, 

        जाड़े की रात बिताती है।।

गीले बिस्तर पर सोती खुद मां ,

        सूखे पर लाल सुलाती है।

मां जग जननी दिल की सुनती,

       नित संस्कार सिखलाती है।।


बिन माता के लगता यारों,

         मुझको संसार अधूरा सा।

माता यदि नहीं रही जग में,         

        सोना भी लगता कूड़ा सा।।

मानव की क्या बात करें,

         ईश्वर भी मां को तरसा है।

लीलाधर ने लीलाएं की,

        आंचल पाने को तड़पा है।।

मेरे मन की स्मृतियों में,

         यादों का सुन्दर उपवन है।

अनुभूति सुखद अन्तर्मन में,

         बरसे आंखों से सावन है।।

जीवनदायिनी हे जगजननी,

          चरणों में तेरे नित सोया।

यादों में जब जब आयी मां,

         आंसू से चरणों को धोया।।


प्रभु की पवित्र पावन रचना,

        कर जोर करें प्रभु ही वंदन।

ममता के पावन मूरत का,

      करता सारा जग अभिनन्दन।।

मां सुख एहसास भी है,

        रहती जो हर पल पास सदा।

परमात्मा का साक्षात रुप,

        रखती सिर पर हाथ सदा।।

दुर्गा काली वो जगदम्बा,

        वो आदिशक्ति है महामायी।

प्रकृतिस्वरुपा धारीत्री,

        ब्रह्माण्ड उदर में ठहरायी।।

भरती प्रकाश मां जीवन में,

        निराशा में इक आस है मां।

रेत से तपते जीवन में,

         सावन की बरसात है मां।।


जग की सब माताओं को,

      कवि विशू करे निसदिन वंदन।

कोमल स्पर्श स्पंदन में,

      जैसे मिश्रित  रहता  चंदन।।

कर जोर करूं आरती हे मां,

      मम अवगुण हृदय नहीं रखना।

मैं अधम पतित, तू पावन मां,       

     सिर पर निज हाथ सदा रखना।।

तेरे कोमल स्पर्श से मां,

       दुःख दूर मेरे हो जाते हैं।

तेरे आंचल की छांव में मां,

     संताप सभी  मिट जाते हैं ।।       



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