STORYMIRROR

Sunil Gajjani

Romance

4  

Sunil Gajjani

Romance

कविता

कविता

1 min
229

जब भी स्मृतियों में आऊ, मुझे सुनना मत कुछ पढ़ लेना

हर कवि की प्रेम कविताओं में हूँ बस मर्म वो समझ लेना !


प्रेम मर्यादित, अपरिभाषित,प्रेम सागर-सा ,पर्वत-सा भी 

प्रेम की पीड़ा प्रेम ही जाने प्रेम एक विश्वास समझ लेना !


दूरिया भूगोल में है मन तो कहें तेरे मेरे प्रीत की कथा 

रोम-रोम देह मे तुम, रचे-बसे एक एहसास की तरह !


व्यक्त क्या करूँ या करूँ कुछ अपने प्रेम का नामकरण 

अंतस प्रेम प्रिय मेरा ,हो तुम मेरी सांस, अरदास की तरह !.



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance