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आलिंगन मानिंद ! आलिंगन मानिंद !
सुनो , फिर सागर को तुम क्या कहोगी जिसके भीतर कई सैलाब दफ़न हैं ! सुनो , फिर सागर को तुम क्या कहोगी जिसके भीतर कई सैलाब दफ़न हैं !
एक विश्वाश एक समर्पण और सबसे अहम मुझ- सी चाहत ! एक विश्वाश एक समर्पण और सबसे अहम मुझ- सी चाहत !
हिमालय गवाह हर वक़्त का वो हर दौर से गुजरा आदमी है हिमालय गवाह हर वक़्त का वो हर दौर से गुजरा आदमी है
हर कवि की प्रेम कविताओं में हूँ बस मर्म वो समझ लेना ! हर कवि की प्रेम कविताओं में हूँ बस मर्म वो समझ लेना !
बेवजह अब मुस्कुराया नहीं जाता मुस्कुराहटें भला कब तक उधार लूँ ! बेवजह अब मुस्कुराया नहीं जाता मुस्कुराहटें भला कब तक उधार लूँ !
नगर, गाँव की जीवन शैली में बच्चा, द्वंद में अपने बचपन के बीच ! नगर, गाँव की जीवन शैली में बच्चा, द्वंद में अपने बचपन के बीच !
जिसके भीतर कई सैलाब दफ़न है ! जिसके भीतर कई सैलाब दफ़न है !
आदमी खुद को ही चुनौती दे रहा उसूलों की राह जो खड़ा आदमी है ! आदमी खुद को ही चुनौती दे रहा उसूलों की राह जो खड़ा आदमी है !