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Sunil Gajjani

Abstract

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Sunil Gajjani

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कविता

कविता

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विश्वास नहीं

पीड़ा बहुत है

ह्रदय में मेरे

तुम्हारी स्मृतियों की

निर्जल पलके देख यूँ

दोष ना दो

सुनो , फिर सागर को तुम क्या कहोगी

जिसके भीतर

कई सैलाब दफ़न हैं !


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