Bhoop Singh Bharti
Thriller
प्यारी सी ये बून्द है, रहे मेघ के संग।
इससे ही बिखरे सदा, जीवन के सब रंग।
जीवन के सब रंग, संग ये लेकर आये।
बनकर के बरसात, धरा की प्यास बुझाये।
चातक की ये प्यास, आन मिटाये सारी।
बने सीप मुख देख, बून्द मोती सी प्यारी।
झूमता बसंत है
कुंडलिया : "म...
कुंडलिया
कुंडलिया : "प...
हाइकु : नव वर...
रैड क्रॉस
गीत
हे लाल लंगूर, आज शरण तुम्हारी हम आए भर लो विपदा हमारी हे लाल लंगूर, आज शरण तुम्हारी हम आए भर लो विपदा हमारी
जलन मेरे सीने के अन्दर है तुमबिन मिलन दिलका दिलसे सनम कुछ नहीं है। जलन मेरे सीने के अन्दर है तुमबिन मिलन दिलका दिलसे सनम कुछ नहीं है।
जो खयाल कभी आया नहीं क्या यह वह हकीकत है जो खयाल कभी आया नहीं क्या यह वह हकीकत है
आओ तुमको वीर शहीदों की गाथा बतलाता हूं अरे आजादी के दीवानों की कुर्बानी दोहराता हूं आओ तुमको वीर शहीदों की गाथा बतलाता हूं अरे आजादी के दीवानों की कुर्बानी दोहरा...
हर पल पल इज़हार कमिल-तरिन किया एक पल इकरार शिकस्त-फरिश्ता किया ! हर पल पल इज़हार कमिल-तरिन किया एक पल इकरार शिकस्त-फरिश्ता किया !
लेकिन अपनी छाप यहां छोड़ना हैं, यादों में जीना, खुद को अमर करना हैं। लेकिन अपनी छाप यहां छोड़ना हैं, यादों में जीना, खुद को अमर करना हैं।
जो मिट गया, वही बचा है, यही सत्य समझ में आए। न चंदन की महक बसे है, न फूलों की गंध यहाँ जो मिट गया, वही बचा है, यही सत्य समझ में आए। न चंदन की महक बसे है, न फूलों की...
दो सिक्कों के लिए उसको गिरवीं रखते देखा है। दो सिक्कों के लिए उसको गिरवीं रखते देखा है।
यूँ इस दुनिया से जाने के बाद भी हमारी कहानी को … उस के शब्दों को आबाद करेंगे यूँ इस दुनिया से जाने के बाद भी हमारी कहानी को … उस के शब्दों को आबाद करेंगे
क्या अभी कुछ हो सकता है ...कोई चमत्कार! क्या लौट के आ सकते हैं उस युवा के प्राण क्या अभी कुछ हो सकता है ...कोई चमत्कार! क्या लौट के आ सकते हैं उस युवा के प्र...
प्रेम और भक्ति से बुराई पराजित हो जाता है । प्रेम और भक्ति से बुराई पराजित हो जाता है ।
हां, मैं महिला हूं शायद इसीलिये ये सब कर पाती हूं। हां, मैं महिला हूं शायद इसीलिये ये सब कर पाती हूं।
उलझनों की माला उतारके फेंक दो गले से मायावी जाल में कब तक यूँ अटकते रहोगे। उलझनों की माला उतारके फेंक दो गले से मायावी जाल में कब तक यूँ अटकते रहोगे।
मेरी बच्ची तुम यह न सोचना कि मैं तुम्हारे अरमानों को दबाना चाहती हूं, मैं तो बस कुछ भेड़ियों क... मेरी बच्ची तुम यह न सोचना कि मैं तुम्हारे अरमानों को दबाना चाहती हूं, मैं ...
व्यथा व्यथा
धूप की चादर ओढ़े, काँपते साये में जन्मा था वह बदनसीब, माँ की गोद में, दूध की बूंदें नहीं था, धूप की चादर ओढ़े, काँपते साये में जन्मा था वह बदनसीब, माँ की गोद में, दूध की बू...
मैं किसी अलग पहचान की मोहताज नहींं मैं खुद एक पहचान हूं। मैं किसी अलग पहचान की मोहताज नहींं मैं खुद एक पहचान हूं।
पर धर्म के अंधों को कैसे ओ नियति मैं समझाऊँगा पर धर्म के अंधों को कैसे ओ नियति मैं समझाऊँगा
और फिर टिनटिन यान में बैठकर अंतरिक्ष की लम्बी व् रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ी। और फिर टिनटिन यान में बैठकर अंतरिक्ष की लम्बी व् रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ी।
यादें हैं बचपन की चुलबुली सी शुभकामनायें आप सब को होली की ! यादें हैं बचपन की चुलबुली सी शुभकामनायें आप सब को होली की !