STORYMIRROR

Bhoop Singh Bharti

Thriller

3  

Bhoop Singh Bharti

Thriller

कुंडलिया : "बून्द"

कुंडलिया : "बून्द"

1 min
258

प्यारी सी ये बून्द है, रहे मेघ के संग।

इससे ही बिखरे सदा, जीवन के सब रंग।


जीवन के सब रंग, संग ये लेकर आये।

बनकर के बरसात, धरा की प्यास बुझाये।


चातक की ये प्यास, आन मिटाये सारी।

बने सीप मुख देख, बून्द मोती सी प्यारी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Thriller