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Bhoop Singh Bharti

Thriller

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Bhoop Singh Bharti

Thriller

कुंडलिया : "बून्द"

कुंडलिया : "बून्द"

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प्यारी सी ये बून्द है, रहे मेघ के संग।

इससे ही बिखरे सदा, जीवन के सब रंग।


जीवन के सब रंग, संग ये लेकर आये।

बनकर के बरसात, धरा की प्यास बुझाये।


चातक की ये प्यास, आन मिटाये सारी।

बने सीप मुख देख, बून्द मोती सी प्यारी।


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