Bhoop Singh Bharti
Thriller
प्यारी सी ये बून्द है, रहे मेघ के संग।
इससे ही बिखरे सदा, जीवन के सब रंग।
जीवन के सब रंग, संग ये लेकर आये।
बनकर के बरसात, धरा की प्यास बुझाये।
चातक की ये प्यास, आन मिटाये सारी।
बने सीप मुख देख, बून्द मोती सी प्यारी।
झूमता बसंत है
कुंडलिया : "म...
कुंडलिया
कुंडलिया : "प...
हाइकु : नव वर...
रैड क्रॉस
गीत
हे लाल लंगूर, आज शरण तुम्हारी हम आए भर लो विपदा हमारी हे लाल लंगूर, आज शरण तुम्हारी हम आए भर लो विपदा हमारी
कहीं देवदार के पेड़, कहीं चीड़ सामने खड़े हैं यहाँ के मौसम के भी, सूना है मिज़ाज बड़े हैं कहीं देवदार के पेड़, कहीं चीड़ सामने खड़े हैं यहाँ के मौसम के भी, सूना है मिज़ाज...
मिला हूँ बहुत शिक्षकों से मैं अपनी ज़िंदगी में, पर सर को मेरे दिल में एक अलग ही जगह बना मिला हूँ बहुत शिक्षकों से मैं अपनी ज़िंदगी में, पर सर को मेरे दिल में एक अलग ह...
मौसम का बदलना दस्तूर है, शायद दिल को भी ये कबूल है।। मौसम का बदलना दस्तूर है, शायद दिल को भी ये कबूल है।।
लेकिन अपनी छाप यहां छोड़ना हैं, यादों में जीना, खुद को अमर करना हैं। लेकिन अपनी छाप यहां छोड़ना हैं, यादों में जीना, खुद को अमर करना हैं।
जिसे मैंने जाना …… यशवी और उसने समझाया है …. जिसे मैंने जाना …… यशवी और उसने समझाया है ….
लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पूछ्ते हैं, "और कितना वक़्त लगेगा" लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पूछ्ते हैं, "और कितना वक़्त लगेगा"
हम उनका सोचा करते थे , दिल से निभाया करते थे l हम उनका सोचा करते थे , दिल से निभाया करते थे l
क्या अभी कुछ हो सकता है ...कोई चमत्कार! क्या लौट के आ सकते हैं उस युवा के प्राण क्या अभी कुछ हो सकता है ...कोई चमत्कार! क्या लौट के आ सकते हैं उस युवा के प्र...
बस ज़रुरत है तो समझने वालों की, इनकी मौन भाषा पढ़ने वालों की। बस ज़रुरत है तो समझने वालों की, इनकी मौन भाषा पढ़ने वालों की।
स्वच्छ हो भारत, स्वस्थ रहें सब - ये सन्देश जन-जन तक पहुँचाना है, स्वच्छ हो भारत, स्वस्थ रहें सब - ये सन्देश जन-जन तक पहुँचाना है,
प्रेम और भक्ति से बुराई पराजित हो जाता है । प्रेम और भक्ति से बुराई पराजित हो जाता है ।
जवान बेटे पर हाथ जैसे बाप का नहीं चलता। जवान बेटे पर हाथ जैसे बाप का नहीं चलता।
माँग रही है सदा सदा को साथ अपने पिया का, तुम बस दोनों को लम्बी उम्र की राह चुनते जाना। माँग रही है सदा सदा को साथ अपने पिया का, तुम बस दोनों को लम्बी उम्र की राह चु...
मैं लिखना चाहता हूँ गहरे जख्मों की कहानियां। मैं लिखना चाहता हूँ गहरे जख्मों की कहानियां।
मेरी बच्ची तुम यह न सोचना कि मैं तुम्हारे अरमानों को दबाना चाहती हूं, मैं तो बस कुछ भेड़ियों क... मेरी बच्ची तुम यह न सोचना कि मैं तुम्हारे अरमानों को दबाना चाहती हूं, मैं ...
प्रेम के रंगों में मिलते देखा है। दो प्रेमियों को मिलते देखा है। प्रेम के रंगों में मिलते देखा है। दो प्रेमियों को मिलते देखा है।
पर धर्म के अंधों को कैसे ओ नियति मैं समझाऊँगा पर धर्म के अंधों को कैसे ओ नियति मैं समझाऊँगा
और फिर टिनटिन यान में बैठकर अंतरिक्ष की लम्बी व् रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ी। और फिर टिनटिन यान में बैठकर अंतरिक्ष की लम्बी व् रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ी।
अपने कर्मों से बनती जग, पुरुषत्व की यही परिभाषा।। अपने कर्मों से बनती जग, पुरुषत्व की यही परिभाषा।।