तुम बदल मत जाना
तुम बदल मत जाना
अगर सच में करती तो मुझसे मोहब्बत
बताओ अब तलक कितना जाना है मुझे
राह में भटके फ़क़ीर के सिवा कुछ नहीं
बताओ अपनी मंज़िल क्यों माना है मुझे
जज़्बातों की ढलान से फिसल मत जाना
जैसी हो वैसी रहना तुम बदल मत जाना
बेईमान मौसम का मिजाज़ आशिकाना है
इसकी शातिर चाल में तुम बहक मत जाना
बादल जो झूमते हैं सुना है बड़े बदनाम है
श्यामल रंग देखकर तुम चहक मत जाना
बेवफाई की गर्मी में तुम पिघल मत जाना
जैसी हो वैसी रहना तुम बदल मत जाना
मुझे दिल में उतारने से पहले ज़रा जान लो
तकदीर से नाता सालों पहले तोड़ दिया है
दम तोड़ने लगी हैं अब हाथ की लकीरें भी
उम्मीदों का दामन सालों पहले छोड़ दिया है
मेरे सवाल सुनकर तुम निकल मत जाना
जैसी हो वैसी रहना तुम बदल मत जाना
जिधर चल पड़ा हूँ कांटों के सिवा कुछ नहीं
चलना है तो जोगन बनकर साथ चल पड़ो
फिर शिकायत मत करना कुछ बताया नहीं
हमसफ़र बनकर तुम भी साथ निकल पड़ो
शर्मीली सांझ की तरह तुम ढल मत जाना
जैसी हो वैसी रहना तुम बदल मत जाना।

