किसका है तुझको इंतज़ार
किसका है तुझको इंतज़ार
किस इंतज़ार में बैठा है तू
यहाँ नहीं है किसी को तेरा इंतज़ार
पहले पाने की चाहत में लोग
दूसरों को गिराकर आगे निकल जाते हैं
तो फिर जो गिरा हैं ज़मीं पर
उसे भला कौन संभालेगा
जिसे अपनों की कोई फ़िक्र नहीं
फिर तेरी फ़िक्र क्यों करेगा
ध्यान से देख, ये इंसान नहीं हैं
चलती फिरती ज़िंदा लाशें हैं
जो अपनों को कुचलकर जश्न मनाते हैं
सच में ज़िंदा लाशों के सिवा कुछ भी तो नहीं
तेरी खामोशियों का क्रंदन से
नहीं इनका कोई रिश्ता है
शैतानी चेहरों के पीछे
इक और नए शिकार की तलाश में
साजिशें के जाल बुने जा रहे हैं
इंसानियत और ईमान तो जैसे सदियों पहले
दफ़न हो गए थे मरुस्थल के सीने में
जहाँ अब कैक्टस के सिवा कुछ नहीं उगता
मत कर इंतज़ार किसी का
बार बार गिरकर ही अब तुझे
खुद ही संभलने का हुनर भी सीखना है
आशाओं की रोशनी में
अपनी मंज़िल का पता खोजना है
इस कारवां में भीड़ तो है लेकिन
फिर भी अकेला खड़ा है तू भेड़ों के झुंड।