किसे तलाश रही
किसे तलाश रही
ज़री वाला लहंगा घेरदार टेढ़ी तिरछी चाल
गेहूंवा रंग सादगी सा ये लहराते रेशमी बाल
नाज़ुक पलकें ऊपर नीचे ढूंढे किसे यूं बेखबर
अधरों में कुछ छुपी खामोशी बेचैन इस क़दर,
हवेली के गलियारे में दौड़ते भागते ये नर्म पैर
जाने कौन सा नया रास्ता ढूंढते घूमते बन के गैर
किसकी तलाश है इन्हें किसे ढूंढ रहे हो के बेताब
चांदनी तो ख़ुद जमीं पर है...
फिर किसे ढूंढ रहा आफताब?,
हर धुमाव हर ठहराव पर रुकती ठहरती थमती
सांसों में सांस भरती थमती पायल की आवाज
ये बेकरारी कैसी इस जान को किसकी तलाश
क्यूं आवारा बंजारा बन भटक रहे हैं सब साज़,
ये आह भरते गुपचुप से गुमनाम से अंदाज
छीन रहे हैं चैन मेरा लेकर इशारों के नाज़
ये प्यासी पहेली बन क्यूं बेचैन रूह तरस रही
मिट्टी के समंदर में नीर दरिया किसे तलाश रही,
जो ख़ुद सुकून चैन है सभी का,
वो जान....
किसे तलाश रही, ये किसे तलाश रही?
