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Sarika Jinturkar

Fantasy

4.1  

Sarika Jinturkar

Fantasy

कुछ यादें...

कुछ यादें...

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कुछ यादें है, उन लम्हों की 

जिन लम्हों में हम साथ रहे 

है वो चाहत के पल 

जहाँ खुशियों से भरे जज्बात रहे


क्या खास वो मंजर होता था 

जब रोज सुबह हम मिलते थे, कुछ कहते थे, कुछ सुनते थे

लड़ना - झगड़ना, खूब सारी मस्ती, बाते करना 

तब सबके चेहरे खिलखिलाते थे

 

याद करे उन लम्हों 

को तो सोते में मुस्कुराते है 

वो साथ बिताए सारे 

पल तनहाई में याद आते है  


कैसी थी वो दोस्ती

कैसा था वो प्यार 

एक दिन की जुदाई से 

डरते थे जब आता था रविवार  


चलते -चलते बोतलों 

को मारते थे टक्कर 

कभी हँसकर चलते थे, कभी चलते थे रोकर  


याद आते है वो लम्हे 

वो सुकून भरे पल 

होंठों पे हँसी आ जाती, 

आँखें भी हो जाती है नम  

हमेशा दिल के करीब रहेंगे वो चाहत के पल

 



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