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Sarika Jinturkar

Abstract Romance

4  

Sarika Jinturkar

Abstract Romance

कभी ना करना

कभी ना करना

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तुम रूठ जाओ मुझसे 

ऐसा कभी ना करना 

मैं एक नजर को तरसू 

ऐसा कभी ना करना 


मैं हार जाऊँ पूछ, 

पूछ के सौ- सौ सवाल  

तुम कुछ जवाब ना दो 

ऐसा कभी ना करना  


मुझसे ही मिलकर हँसना

 मुझसे ही मिलकर रोना

 खुशी हो या गम साथ 

मेरे हरदम रहना

 मुझसे बिछड़ के एकेले जी लो

 ऐसा कभी ना करना  


तुम हमेशा चाँद 

बनके मेरे साथ रहना 

मैं देखती ही रहूँगी रोज, 

किसी रोज तुम ना निकलो

 ऐसा कभी ना करना


 तुम चाहे जाओ जब भी

 तो देखू तुम्हारा रास्ता 

तुम लौट के ना आओ 

ऐसा कभी ना करना  


मेरे अल्फाजों को 

कभी झूठ ना समझना 

याद आती है तुम्हारी हरपल  

मिलने की हमेशा दुआ करना 

जी रही हूँ तुम्हारा नाम लेकर 

मर जाऊँ कभी तो बेवफा ना समझना  


फुर्सत मिले तो कभी ख्वाबों में आना  

रूठ जाऊँ कभी तो मुझे हँसकर मनाना 

 लेकिन मेरी किसी बात पर कभी नाराज मत होना  


कोई वादा नहीं फिर भी इंतजार करना 

दूर होने पर एतबार करना 

बेशक कभी हमसे बात 

ना हो सके पर

कुछ लम्हों मै हमें याद जरूर करना।


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